वि-ुनवजयायगत क्षेत्रः फसल विविधीकरण
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कृ-ुनवजयाक परिचय
उम्र (व-ुनवजर्या)
ः 53 वर्ष -िरु39याक्षा (अधिकतम)
ः ग्रेजुएट जोत का रकबा ( एकड.)
ः 10.00 खेती का अनुभव (व-ुनवजर्या)
ः 35 वर्ष उगाई जाने वाली फसलें
ः सरसों, गेहूं, धान, -सजयैंचा, अरहर टमाटर, फूलगोभी, मिर्च, आलू, बैंगन, इत्यादि फसल पद्धति: सह-ंउचयफसली प-रु39याुधन: 2 भैंस, 2 गाय उपयोगी यन्त्र
ः 1 ट्रैक्टर, कल्टीवेटर, हैरो, ट्राली, सीड डिृल, रोटावेटर, पावर स्पे्र मशीन वा-िुनवजर्याक आय (रु. मे) 9,00,000.00 (नौ लाख) पुरस्कार का विवरण /उपलब्धिय ाँ (जनपद/राज् य/रा-ुनवजयट्र स्तर)
ः जनपद स्तरीय सर्वोच्च उत्पादन के लिए विभिन्न वर्षो में आलू, टमाटर, धान, अरहर, मूंग में प्रथम स्थान मिल चुका है। एवं किसान सम्मान भी जिलाधिकारी महोदय द्वारा प्राप्त हो चुका है।
जिला उद्यान अधिकारी द्वारा सब्जी उत्पादन में पुरस्कार प्रदान किया गया।
के0वी0के0 मथुरा द्वारा प्रगतिशील किसान के रुप में सम्मान प्राप्त हो चुका है।
वर्ष 2016-ंउचय17 में गेंहूॅ की अधिकतम उपज प्राप्त करने पर मा0 आयुक्त आगरा मण्डल, आगरा द्वारा सम्मानित
अन्वे-ुनवजयाण का वर्णन
आज से 5-ंउचय7 वर्ष पूर्व मैं एक साधारण किसान के तौर पर खेती करता था। मु-हजये कृषि की नई तकनीकी के बारें में बिल्कुल जानकारी नहीं थी। देशी गाय, भैंस आदि रखता था जिससे मु-हजये अपने परिवार का पेट भरना भी मुश्किल पडता था। इसी बीच मेरा सम्पर्क कृषि विज्ञान केन्द्र मथुरा में वैज्ञानिकों से हुआ तब से मैंने कृषि एवं सब्जियों की नवीनतम तकनीकी कृषि विज्ञान केन्द्र, मथुरा से प्राप्त की तथा कई बार आकाशवाणी मथुरा के कार्यक्रमों में भी भाग लिया। मैंने कृषि विज्ञान केन्द्र से गेहूॅ, सरसोें, धान, अरहर, मूंग एवं टमाटर, आलू, फूलगोभी, मिर्च, बैंगन आदि सब्जियों की खेती के बारे में विभिन्न प्रकार की जानकारी तथा प्रशिक्षण प्राप्त किया।
कृषि विज्ञान केन्द्र मथुरा की मृदा परीक्षण प्रयोगशाला से मिटटी की जाॅच कराकर सन्तुलित उर्वरकों का प्रयोग, बीज शोधन, भूमि शोधन तथा जैविक विधि अपनाकर खेती तथा पशुपालन कर रहा हूॅ। मेरी मृदा में जीवाशं की मात्रा न के बराबर रह गयी थी। आज उस मृदा में मैं हरी खाद, गोबर की खाद, पीएसबी कल्चर , राइजोबियम कल्चर , एजोटोबैक्टर, नील हरित शैवाल एवं जैव उर्वरक डालकर अपनी मृदा को ही नहीं सुधारा बल्कि उत्पादन में भी भारी वृद्धि की है। मैं अब गेंहूॅ का प्रमाणित एवं आधारीय बीज बो रहा हूॅ। जिसमें गेहूॅ की प्रजाति एचडी 3086, एचडी 2967 तथा डी0बी0डब्लू-ंउचय17 आदि की बुवाई कर बीज उत्पादन कर रहा हूॅ तथा 60 कु0/है0 से अधिक उत्पादन प्राप्त कर रहा हूं। सरसों में एनआरसीडीआर 2, आरएच 406 एवं आरएच 749 तथा पूसा 28 आदि का उत्पादन कर रहा हूं तथा 28-ंउचय30 कु0/है की उपज प्राप्त कर रहा हूं। मैं धान में पूसा सुगंधी 1509, पूसा सुंगधी 1592, पूसा सुगंधी 1612 एवं सुगंधी 1121 आदि उन्नतशील प्रजातियों को बोता हूॅ तथा उत्पादन भी 70-ंउचय75 कु0/है0 ले रहा हूूॅ। मैं टमाटर, फूलगोभी, बैंगन आदि सब्जियों की अगैती खेती तकनीकी रूप से करके जनपद में अधिकतम उत्पादन ले रहा हूॅ। अपने खेतों में गोबर गैस सलरी का प्रयोग अपने खेतों में करता हूॅ। मेरे द्वारा कृषि विविधीकरण अपनाकर अपनी पैदावार में आशातीत वृद्धि की है। मैंने पिछले पाॅच वर्षों में अपनी आय दोगुनी करली है।
एकल फसल उप्पादन मेें विभिन्न जोखिम के साथ-ंउचय2 लाभ भी कम होता था। परंतु कृषि विविधीकरण अपनाकर तथा कृषि विज्ञान केन्द्र मथुरा से नवीनतम तकनीकी प्राप्त कर फसल उत्पादन में जोखिम के साथ-ंउचयसाथ अधिक लाभ होने के कारण फसल विविधीकरण बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है।
सामाजिक एवं आर्थिक वि-रु39यले-ुनवजयाण
आर्थिक समृद्धि होने से मेरी सामाज मे प्रतिष्ठा ब-सजयी जिससे मु-हजये लोगों द्वारा सम्मान दिया जाता है। मेरे कार्य से प्रभावित होकर मु-हजये किसान सम्मान के साथ-ंउचय2 जनपद के विभिन्न विभागों द्वारा सब्जी उत्पादन धान उत्पादन, अरहर उत्पादन, आलू उत्पादन, टमाटर उत्पादन के साथ साथ मूंग उत्पादन में सर्वाधिक पैदावार लेने हेतु जिलाधिकारी महोदय द्वारा पुरस्कृत किया गया। जनपद के कृषि से संबंधित एवं अन्य विभागों द्वारा जनपद स्तरीय विभिन्न समितियों में जिलाधिकारी महोदय द्वारा मु-हजये सदस्य भी नामित किया गया है जिससे मेरा जनपद में सम्मान ब-सजया है। मेरी तरक्की में कृषि विज्ञान केन्द्र, दुवासु, मथुरा की अहम भूमिका रही है।
अन्वे-ुनवजयाण का प्रचार-ंउचयप्रसार आंकणों सहित विगत पांच वर्षो में जनपद में अरहर, कपास एवं आलू उत्पादन के क्षेत्र में आशातीत वृद्धि हो रही है । फसल विविधीकरण से जनपद की किसानों की आमदनी